“साथियो!
समूची दुनिया अनेकानेक कारणों से तेज बदलाव के दौर से गुजर रही है। इस बदलाव की दौड़ में हमारी स्थापित मान्यतायें, जीवन मूल्य, सांस्कांरिक व्यवस्थायें भी आहत हुई, साथ की आहत हुई मानवीय गरिमा। मानवीय गरिमा मानव-मानव के बीच परस्पर संबंध सभी जाति, धर्म, भाषा, नस्ल, क्षेत्र, लिंग आदि भेदों से परे होने चाहिये थे पर दुर्भाग्य से ऐसा न हो सका।...
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