सभ्यता के विकास के साथ आत्मनिर्भरता और मानव-समाज के बीच परस्पर सम्मान, सहयोग, सदभाव, प्रेम और समन्वय की अपेक्षा रहती है। सामाजिक विकास की भटकी दिशा के कारण मानवीय गरिमा आहत हुई है। मानवीय मूल्य क्षत विक्षत हुये है। एम.एस.एस.ओ की दृर्षट है कि सभी संकीर्णताओं और भेदों से परे राष्ट्र और गरिमापूर्ण वातावरण में सुरक्षित और सम्मान से रह सके। एम.एस.एस.ओ की यही संकल्प है।